Premanand Maharaj (प्रेमानंद महराज का जीवन परिचय) :

Premanand Maharaj जिन्हें हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज के नाम से भी जाना जाता है, भारत के वृन्दावन में एक आध्यात्मिक संत है। एक धर्मनिष्ठ ब्राह्मण परिवार में जन्मे अनिरुद्ध कुमार पांडे ने छोटी उम्र से ही आध्यात्मिकता में रुचि प्रदर्शित की। घर छोड़ने के बाद, उन्होंने वर्षों तक गंगा नदी के तट पर तपस्वी जीवन व्यतीत किया।

कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति और भक्ति योग (भक्ति का मार्ग) पर अपनी शिक्षाओं के लिए जाने जाने वाले, महाराज जी ने सत्संग (आध्यात्मिक प्रवचन) आयोजित किए और साधकों को उनकी आध्यात्मिक यात्राओं पर मार्गदर्शन किया जाता है। उन्हें आत्म-बोध पर जोर देने और जीवन जीने के सरल तरीके के लिए प्रेमानंद जी महाराज को याद किया जाता है।

प्रेमानंद महाराज एक प्रमुख संत है जो भारतीय समाज के धार्मिक और सामाजिक जीवन में विशेष महत्वपूर्ण योगदान किया है। प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन में राधारानी के नाम का भजन-कीर्तन करते हैं । वे भजन मार्ग व कथा के द्वारा मोक्ष प्राप्ति का ज्ञान देते हैं। प्रेमानंद जी महाराज राधारानी के परम भक्त है और आज वृन्दावन के Premanand Maharaj को भला कौन नहीं जानता है।

वे आज के समय के प्रसिद्ध संत हैं। यही कारण है कि दूर-दूर से लोग उनके भजन और सत्संग को सुनाने तथा उनका दर्शन प्राप्त करने आते हैं। Premanand Maharaj की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है।Premanand Maharaj ने एकांकी वार्तालाप में बताया की स्वयं भोलेनाथ ने दर्शन दिये थे।

Premanand Maharaj के वाणी बहुत ही सरल, सुगम और जीवन में उपयोगी होती है। उनके प्रवचन से लोग अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के साथ-साथ धार्मिक ज्ञान भी प्राप्त करते हैं। वे भारतीय संस्कृति, धर्म के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से व्याख्यान देते हैं। उनके द्वारा दी जाने वाली शिक्षाएं लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के साथ-साथ उन्हें अपनी भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रति गहरी श्रद्धा भी विकसित करती हैं।

Premanand ji Maharaj

प्रेमानंद महराज का संछिप्त जीवन परिचय :

  • वास्तविक नाम (Real Name)
  • इसे किस नाम से जाना जाता है? ( what name is it known?)
  • जन्म स्थान (Birth Place)
  • आयु (Age)
  • गुरु (Teacher)
  • अनिरुद्ध कुमार पाण्डेय
  • श्री प्रेमानन्द जी महाराज
  • अखरी गांव, सरसौल ब्लॉक, कानपुर, उत्तर प्रदेश
  • 61 (वर्ष )
  • श्री हित गोविंद शरण जी महाराज