वृन्दावन की पवित्र भूमि में, जहां राधा और कृष्ण की दिव्य प्रेम कहानी सामने आती है, एक श्रद्धेय आध्यात्मिक संत , Sri Premanand Maharaj रहते हैं। पूरी तरह से भक्ति मार्ग को समर्पित उनके जीवन ने दुनिया भर में हजारों लोगों को प्रेरित किया है। यह ब्लॉग इस असाधारण संत की यात्रा, उनकी शिक्षाओं और उनके अनुयायियों पर उनके गहरे प्रभाव की के विषय में कुछ जानकारी प्रदान करता है।
प्रारंभिक जीवन और दिव्यता की चमक
1972 में उत्तर प्रदेश के कानपुर के पास एक गाँव में एक पवित्र ब्राह्मण परिवार में जन्मे अनिरुद्ध कुमार पांडे, जिन्हे Premanand Maharaj के नाम से जाना जाता हैं। Premanand Maharaj का जीवन छोटी उम्र से ही आध्यात्मिकता में डूबा हुआ था। उनके दादा, एक संन्यासी (तपस्वी), और उनके धार्मिक माता-पिता ने एक भक्तिपूर्ण वातावरण को बढ़ावा दिया जिसने उनके भीतर एक गुप्त आध्यात्मिक चिंगारी को पोषित किया। जिससे आगे चलकर एक दिव्या संत बने जैसा की हम जानते है की वे एक महान संत है।
वृन्दावन की पुकार और भक्ति का आलिंगन
एक युवा व्यक्ति के रूप में, महाराज जी की उच्च उद्देश्य के लिए लालसा तीव्र हो गई। ध्यान और दैवीय कृपा के माध्यम से, उन्हें वृन्दावन की पवित्र भूमि की ओर एक अनूठा आकर्षण महसूस हुआ। इस आह्वान या कहे की एक अपने पन के खिचाव ने उन्हें मंत्रमुग्ध कर देने वाली रास लीला (दिव्य नृत्य-नाटिका) प्रदर्शन देखने के लिए प्रेरित किया, एक ऐसा अनुभव जिसने राधा और कृष्ण के प्रति उनकी भक्ति को प्रज्वलित किया। इस परिवर्तनकारी घटना के बाद, Premanand Maharaj जी ने निस्वार्थ सेवा और आध्यात्मिक विकास की यात्रा शुरू करते हुए खुद को भक्ति के मार्ग पर समर्पित कर दिया।
भक्ति का मार्ग: शिक्षाएँ और अभ्यास
Premanand Maharaj जी की शिक्षाओं के मूल में प्रेम (दिव्य प्रेम) की परिवर्तनकारी शक्ति निहित है। वह राधा और कृष्ण के लिए शुद्ध प्रेम को प्राप्त करने के महत्व पर जोर देते हैं, इसे आध्यात्मिक या जीवन मुक्ति का अंतिम मार्ग मानते हैं। अपने सत्संग (आध्यात्मिक प्रवचन) के माध्यम से, वह भक्तों को कीर्तन (जप), नाम जप (दिव्य नामों का जाप),(जैसे की राधा नाम का जप) और निस्वार्थ सेवा जैसी विभिन्न भक्ति प्रथाओं पर मार्गदर्शन करते हैं। उनका सौम्य व्यवहार और धर्मग्रंथों का गहन ज्ञान उनके अनुयायियों को गहराई से प्रभावित करता है, जो उनकी आध्यात्मिक खोज को सांत्वना (दुखी और शोकाकुल व्यक्ति को समझाने-बुझाने और ढाढ़स देने की क्रिया) और दिशा प्रदान करता है।
श्री हित राधा केली कुंज आश्रम
Shri Premanand जी ने वृन्दावन में श्री हित राधा केली कुंज आश्रम की स्थापना की, जो आध्यात्मिक मार्गदर्शन और सांत्वना(दुखी और शोकाकुल व्यक्ति को समझाने-बुझाने और ढाढ़स देने की क्रिया) चाहने वालों के लिए एक स्वर्ग है। आश्रम शिक्षा, प्रार्थना और समुदाय के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य करता है। समाज के सभी क्षेत्रों से श्रद्धालु यहां सत्संग में भाग लेने, भक्ति समारोहों में भाग लेने और भक्ति योग की परिवर्तनकारी शक्ति का अनुभव करने के लिए एकत्र होते हैं। और उनके मुखारबिन्दु के द्वारा सत्संग एवं एकांतिक वार्तालाप का कृपा प्रसाद ग्रहण करते है श्रद्धालु जन।
प्रेमानंद जी महाराज के आश्रम का पता
यदि आप Premanand Ji Maharaj से मिलना चाहते हैं तो आपको वृन्दावन जाना होगा। वृन्दावन के परिक्रमा मार्ग पर आपको वहा भक्ति वेदांत हॉस्पिटल दिखेगा। इसके ठीक सामने प्रेमानंद जी महाराज का आश्रम “श्री हित राधा केली कुंज” स्थित है। पूरा पता इस प्रकार है – श्री हित राधा केली कुंज, वृन्दावन परिक्रमा मार्ग, वराह घाट, भक्ति वेदांत अस्पताल के सामने वृन्दावन – 281121 उत्तर प्रदेश।
आश्रम का समय कब क्या होता है।
एकान्तिक वार्ता: प्रातः 5:30 am बजे (प्रवेश समय), प्रातः 06:30 am बजे (प्रारंभ समय)
एकान्तिक दर्शन: प्रातः 7:30 am (प्रवेश समय), प्रातः 8:00 am (प्रारंभ समय)
सत्संग: प्रातः 3:00 am बजे (प्रवेश समय), प्रातः 4:15 am बजे (प्रारंभ समय)
कीर्तन: प्रातः 6:15 am (प्रवेश समय) प्रातः 6:30 am (प्रारंभ समय)
सुबह के रोजमर्रा के काम :
04:10 से 05:30 am – पूज्य महाराज जी द्वारा दैनिक प्रातः सत्संग
प्रातः 05:30 से 06:30 बजे – श्री जी की मंगला आरती एवं वन विहार
प्रातः 06:30 से 08:15 – हित चौरासी जी (सोम, बुध, गुरु, शनि, रवि) एवं श्री राधासुधा निधि जी (मंगल, शुक्र) पाठ
08:15 से 09:15 बजे – श्री जी की श्रृंगार आरती, भक्त सूची, राधा नाम संकीर्तन।
दोपहर की दिनचर्या :
03:00 से 03:15 बजे – धूप आरती
03:15 से 04:30 pm – दैनिक संध्या भाषण पाठ
04:30 से 05:00 बजे – भक्त पात्र
05:00 से 05:15 बजे – संध्या आरती
1. एकान्तिक वार्तालाप, एकान्तिक दर्शन, सत्संग, कीर्तन आदि में प्रवेश कैसे मिलेगा ?
इसके लिए आपको एक दिन पहले सुबह 09:30 बजे श्रीहित राधा केलि कुंज संत निवास आकर अपना नाम पंजीकृत कराना अनिवार्य है। और यह पंजीकरण एकदम निःशुल्क है।
2. एकान्तिक वार्तालाप, एकान्तिक दर्शन, सत्संग, कीर्तन आदि का समय क्या है ?
एकान्तिक वार्तालाप: 5:30am (प्रवेश समय), 06:30am : (प्रारंभ समय)
एकान्तिक दर्शन : 7:30am (प्रवेश समय). 8:00am (प्रारंभ समय)
सत्संग : 3:00am (प्रवेश समय), 4:15am (प्रारंभ समय)
कीर्तन : 6:15am (प्रवेश समय), 6:30am (प्रारंभ समय)
3. महाराज जी से दीक्षा प्राप्त करने के लिए क्या प्रक्रिया है?
महाराज जी से दीक्षा प्राप्त करने के लिए श्रीहित राधा केलि कुंज आकर व्यक्तिगत रूप से संपर्क करें । फोन पर दीक्षा संबंधित जानकारी न लें ।
अधिक संपर्क जानकारी के लिए राधा केली कुंज ऐप डाउनलोड करें प्ले स्टोर पे जाकर।
प्रेमानंद महाराज के कुछ आधिकारिक चैनल
Blog
bhajanmarg.com
Bhajan Marg
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Shri Hit Radha Kripa
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Sadhan Path
youtube.com/user/Saurabh3388
Vrindavan Ras Mahima
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परमात्मा से जुड़ना: आधिकारिक चैनल का अनावरण
आज के डिजिटल युग में, महाराज जी की शिक्षाएँ भौगोलिक सीमाओं से परे हैं। उनका आधिकारिक चैनल भक्तों को उनके सत्संग, भक्ति कीर्तन और आध्यात्मिक प्रवचनों तक पहुंचने के लिए एक मंच प्रदान करता है। यहां, दुनिया भर से साधक उनके ज्ञान में डूब सकते हैं और उनकी शिक्षाओं की परिवर्तनकारी शक्ति का अनुभव कर सकते हैं।
आशा और प्रेरणा की किरण
श्री प्रेमानंद महाराज का जीवन और शिक्षाएँ भक्ति की स्थायी शक्ति के प्रमाण के रूप में खड़ी हैं। राधा और कृष्ण के प्रति उनकी अटूट भक्ति, उनका सौम्य मार्गदर्शन और शास्त्रों का उनका गहन ज्ञान अनगिनत भक्तों को उनकी आध्यात्मिक यात्राओं के लिए प्रेरित करता है। जैसे-जैसे उनका प्रेम और भक्ति का संदेश फैलता जा रहा है, श्री प्रेमानंद महाराज उन सभी के लिए आशा और प्रेरणा की किरण बने हुए हैं जो परमात्मा के साथ गहरा संबंध चाहते हैं।